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कविता

बादलों ने कहा था

मार्तिन हरिदत्त लछमन श्रीनिवासी

अनुवाद - पुष्पिता अवस्थी


बिन बोले
तुम मेरे बारे में कहो-उसने कहा
सुबह उसके ओठों में अपने लिए
स्‍वर्ग का सौंदर्य महसूस किया
प्रेम का दर्द उसके हृदय में था
प्रकाश उसके सभी हिस्‍सों से
क्रीड़ा कर रहा था

मैं सुनता हूँ उसे
उसके ही कानों के द्वारा
इस धरती पर दिखती है-

सूर्य की चित्रकारी
उसकी उम्र के कटाव से परे
सागर उमड़ता है
मुलायम नीले रंग में रात के साथ
उसका काम
सक्रिय होता है फेन की मीनारी गुंबदों में
पहाड़ियाँ धोता है वह
सूर्य बहुत यशी होकर बोलता है
और समुद्री हवाएँ
एकत्रित करती हैं गीत फिर से
सभी पत्तों कि लिए

कहो मेरे बारे में
बिन बोले-उसने कहा
मेरी रिक्‍तता खुल गई थी
उसके द्वारा
जो पहले बादलों ने कहा था।

 


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